वाराणसी. भोजपुरी फिल्म स्टार और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को अपने सपनों का घर बनाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। जब वे अपने गांव से निकले थे, तो शहर में उनका कोई अपना आशियाना नहीं था। 1998 में काफी स्ट्रगल के बाद उन्होंने बनारस में एक घर खरीदा।काफी समय बाद उन्हें इस घर को अपने मनपसंद बनाने में सफलता मिली। इसके लिए उन्होंने खुद ट्रॉली से पत्थर भी ढोया। ये बातें उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर बनारस के कौशलेस नगर स्थित अपने घर पहुंचेdainikbhaskar.com से विशेष बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि वे अपने सपनों के इस महल में जैसे ही पहुंचते हैं, उनके दिल को सबसे ज्यादा सुकून पहुंचता है।
मनोज तिवारी ने बताया कि जब वे 1998 में अपने गांव अतरवलिया (कैमूर जिला, बिहार) से बनारस आए तो उनके पास शहर में कोई घर नहीं था। दोस्तों के साथ काफी ढूंढने के बाद उन्हें एक घर मिला, जिसे खरीदने के लिए उन्हें 16 लाख रुपए जुटाना पड़ा। उन्होंने बताया कि घर तो खरीद लिया, लेकिन उसे अपने मनपसंद बनवाने के लिए पैसे नहीं थे, इसके लिए उन्हें तकरीबन एक साल इंतजार करना पड़ा। 1999 के शुरुआत में उन्होंने इस मकान में काम कराना शुरू किया। मनोज तिवारी बताते हैं कि जैसे ही वे अपने प्रोग्रामों से खाली होते थे, घर को बनाने में मदद के लिए जुट जाया करते थे। घर के डिजाइन को लेकर वे दोस्तों के साथ घंटों बात किया करते थे।
घर को बनाने में अपने हाथों से ढोया पत्थर
मनोज तिवारी ने बताया कि मकान में जिस समय पत्थर लगना शुरू हुआ, वे ट्रॉली से खुद अपने हाथों से पत्थर उतारकर कारीगर तक पहुंचाते थे। फर्स्ट फ्लोर पर जब बालकनी बन रहा था, तो कारीगर से कहकर इसे खुला और घुमावदार बनवाया। खिड़कियां चकोर बनी थी, लेकिन अपने पसंद से इसे पूरा राउंड करवाया। उन्होंने बताया कि इस घर को अपने मनपसंद बनाने में 13 लाख रुपए और लगे थे। उस समय केवल प्रोग्राम किया करते थे और एल्बम में गाया करते थे।
संगीत के रियाज के लिए बेडरूम में रखा है तानपुरा
उन्होंने कहा, ‘बेडरूम मुझे ऐसा चाहिए था जिसमें मैं अपने संगीत का रियाज कर सकूं। घर अभी पूरा बना भी नहीं था, तभी मैं रियाज के लिए घर पर तानपूरा लेकर आया था। ठीक इसके बगल में मैंने अपना किचन बनवाया, क्योंकि मुझे अपनी पसंद के खाने का बहुत शौक है। पूरे कमरे में प्रोग्राम से संबंधित तस्वीरें और अवॉर्ड शीशे के दिव्य आलमारियों में संजोए हुए हैं।