28 मार्च वाराणसी संवासिनी गृह, मेरे गोद में जो बच्चे हैं वो बड़े पवित्र हैं पर इनके पिता का पता नहीं है। कानून उन्हें ढूंढ रहा है क्योंकि उन्होंने किसी लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाया और चलते बने.. समय शर्म अज्ञानता और दुःख की मारी इनकी माँ को इन्हें जन्म देना पड़ा और अब ये अपनी माँ के तारे हैं। माँ तो माँ ही होती है
28 को मैंने कुछ समय संवासिनी गृह वाराणसी में उन बेटियों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ बिताया जो एक प्रकार के जेल में रह रही हैं ,बेसहारा ,घर से भटकीं, किसी के पाप से शर्मसार जीवन जीतीं इत्यादि... यहाँ हर लड़की एक कहानी है.. यहाँ ये लोग कोर्ट के आदेश से रहती हैं.. मेरा उद्देश्य था इनसे नफरत न करके इनको भी जीने की प्रेरणा दी जाय..
मैं APN news सहित काफी लोगों और मीडिया के साथ गया था और अच्छी शुरुआत हुई।वैसे पुष्पांजली सहित कई महान लोग यहाँ अच्छा कर रहे हैं पर उन्हें समाज के सहयोग की जरुरत है.. पूरी रिपोर्ट भी संलग्न है
28 मार्च वाराणसी संवासिनी गृह, मेरे गोद में जो बच्चे हैं वो बड़े पवित्र हैं पर इनके पिता का पता नहीं है। कानून उन्हें ढूंढ रहा है क्योंकि उन्होंने किसी लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाया और चलते बने.. समय शर्म अज्ञानता और दुःख की मारी इनकी माँ को इन्हें जन्म
Submitted by manojtiwari on Tue, 05/17/2016 - 13:29
Monday, March 28, 2016
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